Maa Siddhidatri - Ninth Navratri

Maa Siddhidatri Mahanavmi मां सिद्धिदात्री

Maa Siddhidatri Mahanavmi : माँ दुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। नवरात्र-पूजन के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है।नवरात्रि का त्योहार नौवें और अंतिम दिन महानवमी के उत्सव के साथ समाप्त होता है। भक्त देवी सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं, जिन्हें आध्यात्मिक सिद्धियों और आशीर्वाद की दाता माना जाता है। इस दिन विपरीत परिस्थितियों से सुरक्षा और मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना की जाती है।
इस दिन भगवान शिव ने देवी की तपस्या को पूरा करते हुए उन्हें उनकी इच्छानुसार किसी वर देने का वचन दिया था। इसलिए इस दिन देवी को सिद्धिदात्री कहा जाता है, जिसका अर्थ है ‘सिद्धि देने वाली’। मां सिद्धिदात्री की पूजा और आराधना से भक्तों को शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक सिद्धियां प्राप्त होती हैं। इस दिन भगवान शिव ने देवी को भी अपना वामांग बनाया था। इस दिन की पूजा विधान के अनुसार की जाती है और इस दिन के बाद नवरात्रि का त्योहार समाप्त हो जाता है।

मां सिद्धिदात्री की पूजा को समर्पित करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन किया जा सकता है:

पूजा के लिए साफ़ और शुद्ध स्थान चुनें। पूजा स्थल को सजाएं और उसमें देवी की मूर्ति या छवि स्थापित करें।

पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे धूप, दीप, फूल, नैवेद्य, चादर, फल, और पुष्प आदि तैयार करें।

शुरुआत करने से पहले, अपने मन को शुद्ध करने के लिए ध्यान करें और ध्यान में मां सिद्धिदात्री को अपने साथ महसूस करें।

अब पूजा का आरंभ करें: दीप जलाएं, धूप और अगरबत्ती जलाएं, और मां सिद्धिदात्री को पुष्प, फल, और प्रसाद समर्पित करें।

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मां सिद्धिदात्री की आरती गाएं और उन्हें पूजन के लिए मन्त्र या स्तोत्र पढ़ें।
ओम देवी सिद्धिदात्र्यै नमः।
अमल कमल संस्था तद्रज:पुंजवर्णा, कर कमल धृतेषट् भीत युग्मामबुजा च।
मणिमुकुट विचित्र अलंकृत कल्प जाले; भवतु भुवन माता संत्ततम सिद्धिदात्री नमो नम:।
ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।

अपनी पूजा के बाद, भगवान की कृपा के लिए प्रार्थना करें और अपने जीवन में सिद्धि और समृद्धि का आशीर्वाद मांगें।
माता सिद्धिदात्री को हलवा-पूड़ी और चना का भोग लगाना चाहिए। साथ ही इस प्रसाद को कन्याओं और ब्राह्मणों में बांटना बेहद शुभ माना गया है। ऐसा करने वाले साधक से मां प्रसन्न होती हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।

यहां ध्यान देने योग्य है कि पूजा की विधि विभिन्न स्थानों और परंपराओं के अनुसार भिन्न हो सकती है, इसलिए सर्वप्रथम अपने आस-पास के परंपरागत तरीकों को समझें और फिर अनुसार कार्य करें।

Maa Siddhidatri: The name of the ninth power of Maa Durga is Siddhidatri. She is one who bestows all kinds of attainments. On the ninth day of Navratri, devotees worship Maa Siddhidatri. The festival of Navratri ends with the celebration of Maha-navami on the ninth and final day.
Devotees worship Goddess Siddhidatri, who is considered the giver of spiritual attainments and blessings. People actively seek protection and guidance from adverse circumstances through prayers.
On this day, Lord Shiva completed the penance of the goddess and promised to give her a groom as per her wish.
By worshiping and worshiping Maa Siddhidatri, devotees attain physical, mental and spiritual attainments. On this day Lord Shiva had also made the goddess his wish. On this auspicious day, devotees perform worship according to sacred rituals, marking the culmination of Navratri festivities

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One can dedicate the worship of Maa Siddhidatri by following these steps:

Choose a clean and pure place for worship. Decorate the puja place and install the idol or image of the goddess in it.

Prepare the necessary materials for the puja like incense, lamp, flowers, naivedya, sheet, fruits, and flowers etc.

Before starting the puja, meditate to purify your mind and feel Maa Siddhidatri with you in meditation.

Now begin the puja: light the lamp, burn incense and incense sticks, and offer flowers, fruits, and prasad to Maa Siddhidatri.

Sing the aarti of Maa Siddhidatri and read mantras or stotras to worship her.
Om Devi Siddhidatrya Namah.
Amal Kamal Sanstha Tadraj:Punjavarna, Kar Kamal Dhriteshat Bhit Yugmambuja Ch.
Manimukut’s strange ornate Kalpa webs; Bhavatu Bhuvan Mata Santtatam Siddhidatri Namo Namah.
Hreem Kleem Ain Siddhaye Namah.

After your puja, pray for God’s grace and seek blessings of accomplishment and prosperity in your life.
Halwa-puri and gram should be offered to Mata Siddhidatri. Also, distributing this Prasad among girls and Brahmins is considered very auspicious. Mother is pleased with the seeker who does this and fulfills all his wishes.

It is worth noting here that the method of worship may vary according to different places
and traditions, so first understand the traditional methods around you and then act accordingly.

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