Maa Kushmanda Devi : मां कुष्मांडा देवी हिंदू धर्म की एक प्रमुख देवी माँ मानी जाती हैं। वे नवदुर्गा के नौ रूपों में से एक हैं, और उन्हें चौथे दिन पूजा जाता है। मां कुष्मांडा का नाम ‘कुष्मांडा’ उनकी वाहन सिंह की मुख्यता से है, क्योंकि ‘कुष्म’ का अर्थ होता है “घास” और ‘मांड’ का अर्थ होता है “मुख”। वे स्वयं महाकाल की अग्रणी सेना का प्रतिष्ठान हैं और उन्हें अक्षय तृतीया के दिन विशेष रूप से पूजा जाता है। इसके अलावा, मां कुष्मांडा का वाहन सिंह भी उन्हें बड़ी महत्ता देता है, जिसका अर्थ है शक्ति और पराक्रम। उनका दर्शन उत्तराखंड राज्य के बागेश्वर जिले के गुप्तकाशी जिले में मान्डल गांव में होता है।
मां कुष्मांडा की पूजा करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन किया जा सकता है:
स्नान और शुद्धिकरण: पूजा के पहले, शुद्धि के लिए स्नान करें और वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थल की तैयारी: पूजा स्थल को साफ और सुगम्य बनाएं। एक चौकी या मंच पर माँ कुष्मांडा की मूर्ति रखें।
ध्यान और मंत्र जप: पूजा की शुरुआत में मां कुष्मांडा के ध्यान में चलें। फिर मां कुष्मांडा के मंत्रों का जप करें।
“ॐ ह्रीं क्लीं ऐं वज्र निर्भया कुष्मांडा वाराही देवी क्लीं स्वाहा|| ”
“या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता|
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम||”
“वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम् |
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥”
अर्चना: फूल, चावल, धूप, दीप, नैवेद्य, और अन्य पूजा सामग्री का उपयोग करके मां कुष्मांडा को पूजें।
आरती: पूजा के अंत में, मां कुष्मांडा की आरती गाएं और उनका प्रसाद बांटें।
प्रसाद वितरण: अन्य लोगों को भी प्रसाद बांटें।
ध्यान दें कि यह सिर्फ एक साधारण रूप है, और कुछ स्थानों और परिस्थितियों के अनुसार पूजा की विविधता हो सकती है। यदि आपके पास कोई विशेष आदेश हों, तो आप स्थानीय पुजारी या धार्मिक गाइड से संपर्क कर सकते हैं।
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Maa Kushmanda Devi : Kushmanda Devi is considered to be a major mother goddess in Hindu religion. She is one of the nine forms of Navadurga, and is worshiped on the fourth day. Mother Kushmanda’s name ‘Kushmanda’ comes from the prominence of her vehicle lion, because ‘Kushm’ means “grass” and ‘Mand’ means “mouth”. He himself founds the leading army of Mahakaal and receives special worship on the day of Akshaya Tritiya. Apart from this, the vehicle Leo of Maa Kushmanda also gives her great importance, which means strength and valor. His darshan takes place in Mandal village in Guptkashi district of Bageshwar district of Uttarakhand state.
You can worship Maa Kushmanda by following these steps:
Bathing and purification: Before the puja, take bath and wear clothes for purification.
Preparation of puja place: Make the puja place clean and accessible. Place the idol of Maa Kushmanda on a pedestal or platform.
Meditation and Mantra Chanting: At the beginning of the puja, meditate on Maa Kushmanda. Then chant the mantras of Mother Kushmanda. “Om Hreem Kleem Aim Vajra Nirbhaya Kushmanda Varahi Devi Kleem Swaha” This mantra can be used in her worship.
Archana: Worship Maa Kushmanda using flowers, rice, incense, lamp, naivedya, and other puja materials.
Aarti: At the end of the puja, sing the aarti of Maa Kushmanda and distribute her prasad.
Prasad Distribution: Distribute Prasad to other people also.
Note that this is just a simple form, and there may be variations of worship according to certain places and circumstances. If you have any special orders, you can contact a local priest or religious guide.