Chanakya Neeti Sixteenth Chapter – चाणक्य नीति एक भारतीय सिद्धांतकार, शिक्षक, दार्शनिक, अर्थशास्त्री और 350 -275 ईसा पूर्व के बीच मौर्य सम्राटों के लिए एक महान गुरु चाणक्य पर आधारित पुस्तक है। विविध परिस्थितियों में उनकी विचारधाराओं और विचारों के बारे में, जो आज के समय के लिए भी प्रासंगिक हैं।
स्त्री (यहाँ लम्पट स्त्री या पुरुष अभिप्रेत है) का ह्रदय पूर्ण नहीं है वह बटा हुआ है. जब वह एक आदमी से बात करती है तो दुसरे की ओर वासना से देखती है और मन में तीसरे को चाहती है.
Woman’s heart (lustful woman or man) is not united;
it is divided. While she is talking with one man, she looks lustfully at another and thinks fondly of a third in her heart.
मुर्ख को लगता है की वह हसीन लड़की उसे प्यार करती है. वह उसका गुलाम बन जाता है और उसके इशारो पर नाचता है.
The fool (mudha) who fancies that a charming young lady loves him, becomes her slave and he dances like a shakuntal bird tied to a string.
Chanakya Neeti Sixteenth Chapter – संपूर्ण रामायण पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
ऐसा यहाँ कौन है जिसमे दौलत पाने के बाद मस्ती नहीं आई. क्या कोई बेलगाम आदमी अपने संकटों पर रोक लगा पाया. इस दुनिया में किस आदमी को औरत ने कब्जे में नहीं किया. किस के ऊपर राजा की हरदम मेहेरबानी रही. किसके ऊपर समय के प्रकोप नहीं हुए. किस भिखारी को यहाँ शोहरत मिली. किस आदमी ने दुष्ट के दुर्गुण पाकर सुख को प्राप्त किया.
Who is there who, having become rich, has not become proud?
Which licentious (Free) man has put an end to his calamities (A grievous disaster)?
There is not a one man in world who has not been captured by a woman?
Who was always favored by the king?
On whom did the wrath of time not occur?
Which beggar has attained glory?
Who has become happy by contracting the vices of the wicked?
व्यक्ति को महत्ता उसके गुण प्रदान करते है वह जिन पदों पर काम करता है सिर्फ उससे कुछ नहीं होता. क्या आप एक कौवे को गरुड़ कहेंगे यदि वह एक ऊँची ईमारत के छत पर जाकर बैठता है.
A man attains greatness by his merits, not simply by occupying an exalted seat. Can we call a crow an eagle (garuda) simply because he sits on the top of a tall building.
Chanakya Neeti Sixteenth Chapter – संपूर्ण रामायण पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
जो व्यक्ति गुणों से रहित है लेकिन जिसकी लोग सराहना करते है वह दुनिया में काबिल माना जा सकता है. लेकिन जो आदमी खुद की ही डींगे हाकता है वो अपने आप को दुसरे की नजरो में गिराता है भले ही वह स्वर्ग का राजा इंद्र हो.
A person who isdevoid of qualities, and who is appreciated by people can be
considered capable in the world. But the man who brags on his own, makes
himself fall in the eyes of others, even if he is Indra, the king of heaven.
यदि एक विवेक संपन्न व्यक्ति अच्छे गुणों का परिचय देता है तो उसके गुणों की आभा को रत्न जैसी मान्यता मिलती है. एक ऐसा रत्न जो प्रज्वलित है और सोने के अलंकर में मढने पर और चमकता है.
If good qualities should characterise a man of discrimination, the brilliance of his qualities will be recognised just as a gem which is essentially bright really shines when fixed in an ornament of gold.
वह व्यक्ति जो सर्व गुण संपन्न है अपने आप को सिद्ध नहीं कर सकता है जबतक उसे समुचित संरक्षण नहीं मिल जाता. उसी प्रकार जैसे एक मणि तब तक नहीं निखरता जब तक उसे आभूषण में सजाया ना जाए.
Even one who by his qualities appears to be all knowing suffers without patronage; the gem, though precious, requires a gold setting.
Chanakya Neeti Sixteenth Chapter – संपूर्ण रामायण पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
मुझे वह दौलत नहीं चाहिए जिसके लिए कठोर यातना सहनी पड़े, या सदाचार का त्याग करना पड़े या अपने शत्रु की चापलूसी करनी पड़े.
I do not want that wealth which is to be attained by enduring much suffering,
or by transgressing the rules of virtue, or by flattering an enemy.
जो अपनी दौलत, पकवान और औरते भोगकर संतुष्ट नहीं हुए ऐसे बहोत लोग पहले मर चुके है. अभी भी मर रहे है और भविष्य में भी मरेंगे.
People who are not satisfied by enjoying their wealth, food and women, such people have already died. Still dying and will die in future also.
सभी परोपकार और तप तात्कालिक लाभ देते है. लेकिन सुपात्र को जो दान दिया जाता है
और सभी जीवो को जो संरक्षण प्रदान किया जाता है उसका पुण्य कभी नष्ट नहीं होता.
All charities and sacrifices (performed for fruitive gain) bring only temporary results,
but gifts made to deserving persons (those who are Krishna consciousness)
and protection offered to all creatures shall never perish.
Chanakya Neeti Sixteenth Chapter – संपूर्ण रामायण पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
घास का तिनका हल्का है. कपास उससे भी हल्का है. भिखारी तो अनंत गुना हल्का है.
फिर हवा का झोका उसे उड़ाके क्यों नहीं ले जाता. क्योकि वह डरता है कही वह भीख न मांग ले.
A blade of grass is light, cotton is lighter, the beggar is infinitely lighter still.
Why then does not the wind carry him away? Because it fears that he may ask alms of him.
बेइज्जत होकर जीने से अच्छा है की मर जाए. मरने में एक क्षण का दुःख होता है
पर बेइज्जत होकर जीने में हर रोज दुःख उठाना पड़ता है.
It is better to die than to preserve this life by incurring disgrace.
The loss of life causes but a moment’s grief, but disgrace brings grief every day of one’s life.
सभी जीव मीठे वचनों से आनंदित होते है.
इसीलिए हम सबसे मीठे वचन कहे. मीठे वचन की कोई कमी नहीं है.
The general public pleased with sweet words.
That’s why we say the sweetest words. There is no dearth of sweet words.
Chanakya Neeti Sixteenth Chapter – संपूर्ण रामायण पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
इस दुनिया के वृक्ष को दो मीठे फल लगे है. मधुर वचन और सत्संग.
The tree of this world has got two sweet fruits. Sweet words and satsang.
पहले के जन्मो की अच्छी आदते जैसे दान, विद्यार्जन और तप इस जनम में भी चलती रहती है.
क्योकि सभी जनम एक श्रुंखला से जुड़े है.
Good habits of earlier births like charity, learning and austerity continue in this birth as well.
consequently all births are connected to a chain.
जिसका ज्ञान किताबो में सिमट गया है और जिसने अपनी दौलत दुसरो के सुपुर्द कर दी है
वह जरुरत आने पर ज्ञान या दौलत कुछ भी इस्तमाल नहीं कर सकता.
Whose knowledge is confined in books and who has handed over his wealth to others
He cannot use knowledge or wealth when needed.