Chanakya Neeti Eleventh Chapter – चाणक्य नीति एक भारतीय सिद्धांतकार, शिक्षक, दार्शनिक, अर्थशास्त्री और 350 -275 ईसा पूर्व के बीच मौर्य सम्राटों के लिए एक महान गुरु चाणक्य पर आधारित पुस्तक है। विविध परिस्थितियों में उनकी विचारधाराओं और विचारों के बारे में, जो आज के समय के लिए भी प्रासंगिक हैं।
उदारता, वचनों में मधुरता, साहस, आचरण में विवेक ये बाते कोई पा नहीं सकता ये मूल में होनी चाहिए.
Generosity, pleasing address, courage and propriety of conduct are not acquired, but are inbred qualities.
जो अपने समाज को छोड़कर दुसरे समाज को जा मिलता है, वह उसी राजा की तरह नष्ट हो जाता है जो अधर्म के मार्ग पर चलता है.
He who forsakes his own community and joins another perishes as the king who embraces an unrighteous path.
हाथी का शरीर कितना विशाल है लेकिन एक छोटे से अंकुश से नियंत्रित हो जाता है.
एक दिया घने अन्धकार का नाश करता है, क्या अँधेरे से दिया बड़ा है.
एक कड़कती हुई बिजली एक पहाड़ को तोड़ देती है, क्या बिजली पहाड़ जितनी विशाल है.
जी नहीं. बिलकुल नहीं. वही बड़ा है जिसकी शक्ति छा जाती है. इससे कोई फरक नहीं पड़ता की आकार कितना है.
The elephant’s body is so huge, but it is controlled by a small control.
A lamp destroys the dense darkness, is the lamp bigger than the darkness.
A thumping lightning breaks a mountain, is the lightning as huge as a mountain?
No. No way. He is the greatest whose power covers. It doesn’t matter what the size is.
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जो घर गृहस्थी के काम में लगा रहता है वह कभी ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता.
मॉस खाने वाले के ह्रदय में दया नहीं हो सकती. लोभी व्यक्ति कभी सत्य भाषण नहीं कर सकता.
और एक शिकारी में कभी शुद्धता नहीं हो सकती.
Person who is always engaged in household chores can never acquire knowledge.
There can be no mercy in the heart of a person who eats meat. A greedy person can never speak the truth.
And there can never be purity in a hunter.
एक दुष्ट व्यक्ति में कभी पवित्रता उदीत नहीं हो सकती उसे चाहे जैसे समझा लो.
नीम का वृक्ष कभी मीठा नहीं हो सकता आप चाहे उसकी शिखा से मूल तक घी और शक्कर छिड़क दे.
The wicked man will not attain sanctity even if he is instructed in different ways, and
the neam tree will not become sweet even if it is sprinkled from the top to the roots with milk and ghee.
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आप चाहे सौ बार पवित्र जल में स्नान करे, आप अपने मन का मैल नहीं धो सकते.
उसी प्रकार जिस प्रकार मदिरा का पात्र पवित्र नहीं हो सकता चाहे आप उसे गरम करके सारी मदिरा की भाप बना दे.
Mental dirt cannot be washed away even by one-hundred baths in the sacred waters,
just as a wine pot cannot be purified even by evaporating all the wine by fire.
इसमें कोई आश्चर्य नहीं की व्यक्ति उन बातो के प्रति अनुदगार कहता है जिसका उसे कोई ज्ञान नहीं.
उसी प्रकार जैसे एक जंगली शिकारी की पत्नी हाथी के सर का मणि फेककर गूंजे की माला धारण करती है.
It’s no wonder that a person says condescending to those things of which he has no knowledge.
In the same way as the wife of a wild hunter throws a gem of an elephant’s head and wears a garland of echoes.
जो व्यक्ति एक साल तक भोजन करते समय भगवान् का ध्यान करेगा और मुह से कुछ नहीं बोलेगा
उसे एक हजार करोड़ वर्ष तक स्वर्ग लोक की प्राप्ति होगी.
He who for one year eats his meals silently (inwardly meditating upon the Lord’s prasadam);
attains to the heavenly planets for a thousand crore of years. ( Note: one crore equals ten million)
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एक विद्यार्थी पूर्ण रूप से निम्न लिखित बातो का त्याग करे.
१. काम २. क्रोध ३. लोभ ४. स्वादिष्ट भोजन की अपेक्षा. ५. शरीर का शृंगार ६. अत्याधिक जिज्ञासा
७. अधिक निद्रा ८. शरीर निर्वाह के लिए अत्याधिक प्रयास.
A student should completely renounce the following eight things –
his lust, anger, greed, desire for sweets, sense of decorating the body, excessive curiosity,
excessive sleep, and excessive endeavor for bodily maintenance.
वही सही में ब्राह्मण है जो केवल एक बार के भोजन से संतुष्ट रहे, जिस पर १६ संस्कार किये गए हो,
जो अपनी पत्नी के साथ महीने में केवल एक दिन समागम करे. माहवारी समाप्त होने के दुसरे दिन.
He is indeed a brahmin who is satisfied with only one meal, on which 16 sacraments have been performed,
One who has intercourse with his wife only one day in a month. On the second day after the end of menstruation.
वह ब्राह्मण जो दुकानदारी में लगा है, असल में वैश्य ही है.
A Brahmin who is engaged in business is actually a Vaishya.
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निम्न स्तर के लोगो से जिस व्यवसाय में संपर्क आता है, वह व्यवसाय ब्राह्मण को शुद्र बना देता है.
The business in which people come in contact with low level people, that business makes a Brahmin a Shudra.
वह ब्राह्मण जो दुसरो के काम में अड़ंगे डालता है, जो दम्भी है, स्वार्थी है, धोखेबाज है,
दुसरो से घृणा करता है और बोलते समय मुह में मिठास और ह्रदय में क्रूरता रखता है, वह एक बिल्ली के समान है.
The brahmin who obstructs the work of others, who is arrogant, selfish, deceitful,
who hates others and while speaking has sweetness in his mouth and cruelty in his heart, he is like a cat.
एक ब्राह्मण जो तालाब को, कुए को, टाके को, बगीचे को और मंदिर को नष्ट करता है, वह म्लेच्छ है.
A Brahmin who destroys a pond, a well, a tank, a garden and a temple is a mleccha.
वह ब्राह्मण जो भगवान् के मूर्ति की सम्पदा चुराता है और वह अध्यात्मिक गुरु जो दुसरे की पत्नी के साथ समागम करता है
और जो अपना गुजारा करने के लिए कुछ भी और सब कुछ खाता है वह चांडाल है.
The brahmana who steals the property of the Deities and the spiritual preceptor,
who cohabits with another’s wife, and who maintains himself by eating anything
and everything s called a chandala.
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एक गुणवान व्यक्ति को वह सब कुछ दान में देना चाहिए जो उसकी आवश्यकता से अधिक है.
केवल दान के कारण ही कर्ण, बाली और राजा विक्रमादित्य आज तक चल रहे है.
देखिये उन मधु मख्खियों को जो अपने पैर दुखे से धारती पर पटक रही है.
वो अपने आप से कहती है ” आखिर में सब चला ही गया. हमने हमारे शहद को जो बचा कर रखा था,
ना ही दान दिया और ना ही खुद खाया. अभी एक पल में ही कोई हमसे सब छीन कर चला गया.”
The meritorious should give away in charity all that they have in excess of their needs.
By charity only Karna, Bali and King Vikramaditya survive even today.
Just see the plight of the honeybees beating their legs in despair upon the earth.
They are saying to themselves, “Alas! We neither enjoyed
our stored-up honey nor gave it in charity, and now someone has taken it from us in an instant.”