Maa Siddhidatri – Ninth Navratri: On the ninth and final day of Navratri, devotees worship Maa Siddhidatri, the ninth form of Goddess Durga. Maa Siddhidatri is revered as the goddess who grants all kinds of spiritual powers and siddhis (supernatural abilities). The name “Siddhidatri” is derived from two Sanskrit words: “Siddhi,” meaning supernatural powers or divine abilities, and “Datri,” meaning the giver. Thus, she is the one who bestows her devotees with siddhis and fulfills their desires.
Iconography of Maa Siddhidatri
Maa Siddhidatri is depicted as a calm and gracious goddess. She is seen seated on a lotus flower and sometimes riding a lion. She has four arms:
- In her hands, she holds a chakra (discus), a gada (mace), a shankha (conch), and a lotus flower.
- Her aura is peaceful and divine, symbolizing her power to bestow grace and blessings on her devotees.
Significance of Maa Siddhidatri
Maa Siddhidatri is the provider of eight types of siddhis, also known as Ashta Siddhis. These are:
- Anima: The power to reduce one’s body to the size of an atom.
- Mahima: The ability to expand one’s body to an infinitely large size.
- Garima: The ability to become infinitely heavy.
- Laghima: The power to become weightless.
- Prapti: The ability to obtain anything desired.
- Prakamya: The power to fulfill all desires.
- Ishita: The ability to control the natural forces of creation.
- Vashita: The power to control all beings.
According to Hindu scriptures, Lord Shiva himself attained these eight siddhis through the grace of Maa Siddhidatri. It is said that with her blessings, he manifested as Ardhanarishvara—a form that is half Shiva and half Parvati, symbolizing the unity of masculine and feminine energies.
Worship Rituals for Maa Siddhidatri
- Morning Bath and Meditation: Devotees begin the day with a bath and meditation on Maa Siddhidatri. Clean the altar and set up her image or idol for worship.
- Establish the Idol or Image: Place the image of Maa Siddhidatri on the altar. Offer red flowers, sandalwood paste, and other sacred items.
- Offerings and Prayers: Offer fresh fruits, sweets, coconut, and incense. Light a lamp and recite her mantra:
- Mantra: “ॐ सिद्धिदात्र्यै नमः” (Om Siddhidatryai Namah).
- Chanting and Meditation: Perform japa (mantra chanting) and meditation for peace and spiritual fulfillment.
- Homa or Yagna: On the final day of Navratri, it is considered auspicious to perform a homa (fire ritual) in honor of the goddess to invoke her blessings and cleanse the environment with sacred chants.
Mythology of Maa Siddhidatri
According to legend, when the universe was being created, the supreme goddess manifested herself as Siddhidatri to bless the gods and other beings with divine powers. Lord Shiva, in his desire to master these powers, sought her blessings. As a result of her grace, he attained the form of Ardhanarishvara, a perfect synthesis of male and female energies, showcasing the balance and harmony in the universe.
Benefits of Worshiping Maa Siddhidatri
- Spiritual Growth: Devotees who worship Maa Siddhidatri on the ninth day of Navratri experience a boost in their spiritual awakening. She blesses them with wisdom, clarity, and enlightenment.
- Fulfillment of Desires: Maa Siddhidatri fulfills both material and spiritual desires. She grants happiness, peace, and prosperity to her devotees.
- Divine Protection: Invoking her blessings protects devotees from negative forces and brings them a harmonious, balanced life.
Worshiping Maa Siddhidatri completes the Navratri journey of devotion, where the devotee has progressively sought different aspects of the Goddess Durga, from strength and courage to ultimate wisdom and spiritual power. Her blessings help in attaining success, spiritual wisdom, and liberation from the material world.
नवरात्रि के नौवें और अंतिम दिन, माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। यह दिन बहुत ही महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है। माँ सिद्धिदात्री को सिद्धियों की देवी कहा जाता है। इनकी उपासना से सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं। माँ का नाम “सिद्धिदात्री” दो शब्दों से मिलकर बना है— “सिद्धि” जिसका अर्थ है अद्भुत शक्तियाँ और “दात्री” जिसका अर्थ है देने वाली। अर्थात, माँ सिद्धिदात्री अपने भक्तों को सिद्धियों का आशीर्वाद देती हैं।
माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप
माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप बहुत ही शांत और दिव्य है। वे कमल के फूल पर विराजमान होती हैं और उनके चार हाथ होते हैं। चारों हाथों में वे क्रमशः गदा, चक्र, शंख और कमल का पुष्प धारण करती हैं। माँ सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है, हालांकि कभी-कभी इन्हें कमल पर भी विराजमान दिखाया जाता है। उनका यह स्वरूप अत्यंत सौम्य और मनमोहक है।
सिद्धियों का आशीर्वाद
पुराणों के अनुसार, माँ सिद्धिदात्री की कृपा से भक्तों को आठ सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं। ये आठ सिद्धियाँ हैं:
- अणिमा: शरीर को सूक्ष्मतम आकार में बदलने की शक्ति।
- महिमा: शरीर को विशालतम आकार में बदलने की शक्ति।
- लघिमा: शरीर को हल्का करने की शक्ति।
- गर्भिता: कहीं भी तुरंत पहुँचने की शक्ति।
- प्राकाम्य: इच्छानुसार कार्य करने की शक्ति।
- ईशित्व: संसार पर नियंत्रण रखने की शक्ति।
- वशित्व: किसी को वश में करने की शक्ति।
- कामावसायिता: किसी भी कार्य में सिद्धि प्राप्त करने की शक्ति।
इन सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए माँ सिद्धिदात्री की भक्ति और साधना की जाती है।
माँ सिद्धिदात्री की पूजा विधि
- स्नान और ध्यान: नौंवे दिन प्रातःकाल स्नान कर माँ सिद्धिदात्री का ध्यान किया जाता है। स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूजा स्थल को स्वच्छ किया जाता है।
- मूर्ति या चित्र की स्थापना: माँ सिद्धिदात्री की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल पर स्थापित करें।
- पूजन सामग्री: माता की पूजा में धूप, दीप, लाल पुष्प, चंदन, अक्षत (चावल), नारियल, मिठाई, और फल आदि शामिल होते हैं।
- मंत्र जाप: “ॐ सिद्धिदात्यै नमः” मंत्र का जाप करना चाहिए।
- हवन: नवरात्रि के अंतिम दिन हवन करने का भी विशेष महत्व है। इसमें माँ सिद्धिदात्री का आह्वान कर विशेष मंत्रों के साथ आहुतियाँ दी जाती हैं।
माँ सिद्धिदात्री की कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव ने माँ सिद्धिदात्री की कृपा से ही सभी प्रकार की सिद्धियों को प्राप्त किया था। माँ सिद्धिदात्री ने ही भगवान शिव को अर्द्धनारीश्वर रूप प्रदान किया था, जिसमें आधा शरीर शिव का और आधा माँ पार्वती का है।
माँ सिद्धिदात्री का आशीर्वाद
माँ सिद्धिदात्री की कृपा से भक्तों को भौतिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। उनके आशीर्वाद से साधक में ज्ञान, धैर्य और विवेक का विकास होता है। जीवन में आने वाली हर बाधा को दूर कर माँ अपने भक्तों को सुख-शांति और समृद्धि का वरदान देती हैं।
इस दिन की पूजा भक्तों को मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और जीवन में समृद्धि प्रदान करती है।