Maa Kalratri – Seventh Navratri
Maa Kalratri – Seventh Navratri : Devi Kalratri is the seventh form of Goddess Durga, worshipped on the seventh day of Navratri. She is a fierce and powerful manifestation of the Divine Mother, known for her ability to destroy all forms of evil, fear, and negative forces. Despite her terrifying appearance, she is considered a compassionate and benevolent goddess for her devotees, bestowing them with protection and blessings.
Appearance of Devi Kalratri:
- Complexion: Dark black, symbolizing the vastness of the cosmos.
- Hair: Unkempt, flowing wildly.
- Eyes: Red and filled with rage, symbolizing her fierce nature.
- Mount: Donkey (a symbol of humility and service).
- Hands: She holds a curved sword and an iron hook in two of her hands, while her other two hands are in Abhaya (granting fearlessness) and Varada (blessing) mudras.
- Garments: She is often depicted wearing a garland of lightning and skulls, representing her role as the destroyer of ignorance and fear.
- Breathing: She breathes flames of fire, showing her immense energy and power.
Significance:
Devi Kalratri represents the darker side of life, and her worship helps remove fear, negative energies, and obstacles from the life of her devotees. She is also known to protect from enemies, evil spirits, and black magic. Worshipping her ensures safety, security, and the removal of all forms of misfortune.
Symbolism:
- Destruction of Ego and Ignorance: Kalratri’s black form symbolizes the destruction of ignorance (darkness) and the ultimate transformation towards light and wisdom.
- Ultimate Fearlessness: Her fierce appearance is meant to instill fear in evil forces, while her devotees experience ultimate fearlessness and inner strength.
- Spiritual Liberation: She guides her devotees toward spiritual liberation (moksha) by helping them overcome material and mental obstacles.
Mantra for Devi Kalratri:
To invoke Devi Kalratri and seek her blessings, one can chant the following mantra:
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ कालरात्रि देव्यै नमः”
Or the following prayer:
“एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥ वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा। वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥”
Benefits of Worshipping Devi Kalratri:
- Protection from evil spirits, enemies, and dark forces.
- Removal of fear, both external and internal.
- Success in difficult endeavors and protection from accidents and mishaps.
- Spiritual growth and liberation from worldly attachments.
Devi Kalratri represents the fierce and protective aspect of the Mother Goddess, and by worshipping her, one can achieve courage, strength, and fearlessness in life.
Maa Kalratri – Seventh Navratri : माँ कालरात्रि माँ दुर्गा का सातवां रूप हैं और नवरात्रि के सातवें दिन उनकी पूजा की जाती है। कालरात्रि का अर्थ है “काल” यानी समय और “रात्रि” यानी रात। माँ कालरात्रि सभी प्रकार के भयों और नकारात्मक शक्तियों का नाश करने वाली देवी मानी जाती हैं। वे भक्तों के जीवन से अज्ञानता, भय, और असत्य को दूर कर प्रकाश और सत्य का मार्ग दिखाती हैं।
माँ कालरात्रि की प्रतिमा अत्यंत विकराल और भयावह मानी जाती है, लेकिन वे अपने भक्तों के लिए सदैव शुभ और कल्याणकारी हैं। उनकी चार भुजाएँ होती हैं, जिनमें वे खड्ग और लोहे की कांटेदार वस्त्र धारण करती हैं। उनका वाहन गधा होता है और उनका रूप काला होता है। वे अपने एक हाथ से आशीर्वाद देती हैं और दूसरे हाथ से अभयमुद्रा में होती हैं।
देवी कालरात्रि की पूजा से शत्रु, भूत-प्रेत, जादू-टोना और बुरी शक्तियों का नाश होता है। उन्हें समर्पण करने से व्यक्ति को सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है और उसके जीवन में सुख-शांति का संचार होता है।
माँ कालरात्रि की पूजा नवरात्रि के सातवें दिन की जाती है और इस दिन उन्हें विशेष विधि से पूजा जाता है। यहाँ माँ कालरात्रि की पूजा की सरल और विस्तृत विधि दी जा रही है:
माँ कालरात्रि की पूजा विधि:
- स्नान और शुद्धिकरण:
- सबसे पहले प्रातः स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान और पूजा सामग्री को भी शुद्ध जल से साफ करें।
- पूजा करने वाले स्थान को गंगाजल या स्वच्छ जल से पवित्र करें।
- घटस्थापना और देवी का आवाहन:
- यदि आप पूरे नवरात्रि में कलश स्थापित कर चुके हैं, तो सातवें दिन माँ कालरात्रि का आवाहन कलश के पास करें।
- देवी का आह्वान करने के लिए हाथ में पुष्प और अक्षत (चावल) लेकर देवी माँ का ध्यान करें
और उनसे पूजा स्वीकार करने की प्रार्थना करें।
- माँ कालरात्रि का ध्यान और मंत्र:
- माँ कालरात्रि का ध्यान करते हुए नीचे दिए गए मंत्रों का जाप करें:
- “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ कालरात्रि देव्यै नमः”
- या फिर:
“एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥”
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पूजा सामग्री अर्पण:
- माँ को चन्दन, कुमकुम, हल्दी, अक्षत, पुष्प, अगरबत्ती, दीपक, धूप, आदि अर्पित करें।
- माँ कालरात्रि को गुड़ या गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाना बहुत शुभ माना जाता है।
- माँ को लाल वस्त्र और श्रृंगार की वस्तुएँ भी अर्पित कर सकते हैं।
- आरती:
- माँ कालरात्रि की पूजा के बाद उनकी आरती करें। आप “जय अम्बे गौरी” या “कालरात्रि माता की आरती” गा सकते हैं।
- घी या तेल का दीपक जलाकर आरती करें और घंटी बजाएं।
- प्रसाद वितरण:
- आरती के बाद प्रसाद को सबमें बाँटें और परिवार के सदस्यों को भी माँ कालरात्रि का आशीर्वाद दिलवाएँ।
- सप्तमी के व्रत का पालन:
- यदि आप नवरात्रि का व्रत कर रहे हैं, तो सप्तमी के दिन माँ कालरात्रि का ध्यान करते हुए पूरे दिन व्रत रखें।
- शाम को पूजा-अर्चना के बाद फलाहार या व्रत का भोजन ग्रहण करें।
माँ कालरात्रि की पूजा से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं, और उसे भय, रोग, शत्रु और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है।