Goddess Brahmacharini – Second Navratri : On the second day of Navratri, Goddess Brahmacharini is worshipped. She is the second form of Goddess Durga and represents penance, devotion, and spiritual wisdom. The name “Brahmacharini” is derived from two words: “Brahma,” meaning divine consciousness or supreme knowledge, and “Charini,” meaning one who conducts or follows. Therefore, Brahmacharini symbolizes one who seeks divine wisdom through penance and discipline.
Iconography and Symbolism:
- Appearance: Brahmacharini is walking barefoot, holding a japa mala (rosary) in her right hand and a kamandalu (water pot) in her left hand.
- Symbolism:
- Japa mala represents devotion and the continuous recitation of prayers.
- Kamandalu symbolizes the practice of penance and renunciation.
- She is serene, determined figure, representing peace and focus on spiritual goals.
Mythological Significance:
In her previous life, Goddess Parvati performed intense penance (tapasya) to win Lord Shiva as her husband. For thousands of years, she underwent rigorous austerities, living only on fruits, and later on, she gave up even that to live on air. Through her immense dedication and perseverance, she gained the name Brahmacharini.
This form of the Goddess represents sacrifice, discipline, and self-control. Her penance is symbolic of the path of renunciation that leads to achieving supreme consciousness or union with the divine.
Rituals and Prayers:
- On the second day of Navratri, devotees offer flowers, fruits, and especially sugar to Goddess Brahmacharini. Sugar is symbolic of sweetness and calmness in life.
- The color of the day is usually white, representing purity, peace, and calmness.
- Prayers are dedicated to invoke discipline, strength, and patience, and to overcome challenges in life.
Spiritual Significance:
Goddess Brahmacharini is associated with the Swadhisthana Chakra (sacral chakra), which governs creativity and desire. Worshiping her helps control desires and brings about a sense of peace, contentment, and wisdom. Devotees seek her blessings to cultivate virtue, perseverance, and mental strength on their spiritual journey.
By worshipping Brahmacharini, one learns the importance of inner strength, persistence, and the power of devotion, which are essential to overcoming life’s difficulties and progressing on the spiritual path.
देवी ब्रह्मचारिणी
द्वितीय नवरात्रि के दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। यह देवी दुर्गा का दूसरा स्वरूप है, जो तपस्या और भक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं। “ब्रह्मचारिणी” नाम दो शब्दों से मिलकर बना है – “ब्रह्म,” जिसका अर्थ है परम ज्ञान या दिव्य चेतना, और “चारिणी,” जिसका अर्थ है पालन करने वाली या आचरण करने वाली। इसलिए, ब्रह्मचारिणी देवी तपस्या और अनुशासन के माध्यम से ईश्वरीय ज्ञान की प्राप्ति का प्रतीक हैं।
देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप:
- रूप: देवी ब्रह्मचारिणी नंगे पैर चलती हुई दिखती हैं। उनके दाहिने हाथ में जप माला और बाएँ हाथ में कमंडलु होता है।
- प्रतीकात्मकता:
- जप माला भक्ति और निरंतर साधना का प्रतीक है।
- कमंडलु त्याग और तपस्या का प्रतीक है।
देवी का यह शांत और दृढ़ रूप साधना और संयम के महत्व को दर्शाता है।
पौराणिक कथा:
अपने पूर्व जन्म में देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी। उन्होंने हजारों वर्षों तक कठोर तप किया, पहले केवल फल खाए, फिर केवल पत्ते, और अंत में वायु पर ही जीवित रहीं। उनकी इस तपस्या के कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना गया। उनका यह स्वरूप आत्मसंयम, तप, और समर्पण का प्रतीक है।
पूजा विधि:
- नवरात्रि के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा में श्वेत वस्त्र धारण कर, उन्हें पुष्प, फल, और विशेष रूप से शक्कर का भोग अर्पित किया जाता है, जो जीवन में मिठास और शांति का प्रतीक है।
- इस दिन का रंग सफेद होता है, जो शांति, पवित्रता, और साधना का प्रतिनिधित्व करता है।
- भक्त देवी से धैर्य, आत्म-नियंत्रण और कठिनाइयों पर विजय प्राप्त करने की शक्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
आध्यात्मिक महत्त्व:
देवी ब्रह्मचारिणी का संबंध स्वाधिष्ठान चक्र (सैकल चक्र) से है, जो सृजनात्मकता और इच्छाओं का केंद्र है। उनकी पूजा से इच्छाओं पर नियंत्रण पाया जाता है और साधक को शांति और संतुष्टि प्राप्त होती है। उनकी उपासना से जीवन में दृढ़ता, साहस, और भक्ति के महत्व को समझने में सहायता मिलती है।
देवी ब्रह्मचारिणी की आराधना से मनुष्य में आत्मबल, धैर्य, और भक्ति की भावना प्रबल होती है, जो जीवन की चुनौतियों का सामना करने और आध्यात्मिक प्रगति के मार्ग पर चलने में सहायक होती है।