Hariyali Teej : हरियाली तीज एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है, जो विशेष रूप से उत्तर भारत के राज्यों जैसे राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, और हरियाणा में मनाया जाता है। इसे श्रावण (सावन) माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। हरियाली तीज मुख्य रूप से महिलाओं का त्योहार है, जो भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन की खुशी में मनाया जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 6 अगस्त को शाम 7 बजकर 42 मिनट पर आरंभ हो रही है, जो 7 अगस्त 2024 को रात 10 बजे पर समापन होगा। ऐसे में हरियाली तीज का व्रत 7 अगस्त 2024 को रखा जा रहा है।
त्योहार की विशेषताएँ:
- हरियाली तीज की महत्ता केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। यह महिलाओं को एक साथ आने, अपने विचार और अनुभव साझा करने, और आनंदित होने का अवसर प्रदान करता है।
हरियाली तीज का महत्व :
तीज का धार्मिक, सांस्कृतिक, और सामाजिक दृष्टिकोण से बहुत महत्व है। इसका महत्व निम्नलिखित है:
धार्मिक महत्व:
भगवान शिव और माता पार्वती: इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन की कथा से जुड़ा है। माना जाता है कि इस दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था। इसलिए, महिलाएं इस दिन व्रत रखकर और पूजा-अर्चना करके अपने वैवाहिक जीवन की सुख-शांति और समृद्धि की कामना करती हैं।
व्रत और पूजा: हरियाली तीज के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। इसे उनकी कृपा पाने और अपने परिवार के सुख-समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
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सांस्कृतिक महत्व:
लोकगीत और नृत्य: इस त्योहार के दौरान महिलाएं पारंपरिक लोकगीत गाती हैं और नृत्य करती हैं। यह सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने और पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाने का माध्यम है।
परंपरागत वेशभूषा: महिलाएं इस दिन पारंपरिक परिधान जैसे साड़ी, लहंगा-चोली पहनती हैं और आभूषणों से सजती हैं। यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखने का एक तरीका है।
सामाजिक महत्व:
समाजिक एकता: हरियाली तीज महिलाओं को एकजुट होकर त्योहार मनाने का अवसर प्रदान करती है। वे एक साथ मिलकर झूला झूलती हैं, गीत गाती हैं और आनंदित होती हैं।
महिला सशक्तिकरण: इस दिन महिलाएं अपने अनुभव और विचार साझा करती हैं, जिससे उन्हें अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श करने का अवसर मिलता है।
प्राकृतिक महत्व:
मानसून का स्वागत: हरियाली तीज का समय मानसून के दौरान होता है, जब प्रकृति अपनी हरियाली और सौंदर्य में होती है। यह त्योहार प्रकृति के सौंदर्य का आनंद लेने और उसे सराहने का अवसर भी है।
पर्यावरण संरक्षण: इस समय पेड़-पौधों की देखभाल और उनकी वृद्धि के लिए आदर्श होता है। महिलाएं पेड़ों पर झूले डालकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देती हैं।
हरियाली तीज का त्योहार न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, बल्कि यह समाजिक और प्राकृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, जो महिलाओं को एक साथ लाकर खुशियों का माहौल बनाता है।
Hariyali Teej is a significant Hindu festival primarily celebrated in the northern states of India such as Rajasthan, Uttar Pradesh, Madhya Pradesh, and Haryana.
It falls on the third day of the bright half of the lunar month of Shravan (Sawan), which typically corresponds to July or August in the Gregorian calendar.
Teej is dedicated to the reunion of Lord Shiva and Goddess Parvati, and it is a joyous occasion especially for married women.
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According to the Hindu calendar, the Tritiya Tithi of Shukla Paksha of Shravan month is starting on
6th August at 7:42 pm,
which will end on 7th August 2024 at 10 pm.
Hariyali Teej fast will be observed on 7th August 2024.
Significance of Hariyali Teej
- Religious Significance:
- Lord Shiva and Goddess Parvati: The festival commemorates the reunion of Lord Shiva and Goddess Parvati. On this day, Goddess Parvati reunited with Lord Shiva after a long penance. Women observe fasts and perform rituals to seek blessings for a happy and prosperous married life.
- Fasting and Worship: Married women often observe a strict fast and worship Lord Shiva and
Goddess Parvati for the well-being and longevity of their husbands and the prosperity of their families.
- Cultural Significance:
- Folk Songs and Dances: Women engage in singing traditional folk songs and performing dances. This not only brings joy but also helps preserve cultural heritage and traditions.
- Traditional Attire: Women dress up in vibrant traditional clothes such as sarees, lehengas, and adorn themselves with jewelry. This showcases the rich cultural fabric and traditional attire of the region.
- Social Significance:
- Community Bonding: The festival brings women together, fostering a sense of community and camaraderie. They gather to swing on beautifully decorated swings, sing songs, and share their experiences.
- Women Empowerment: Hariyali Teej provides a platform for women to come together, share
their thoughts, and support each other, thereby fostering a sense of empowerment and solidarity.
- Environmental Significance:
- Monsoon Celebrations: It is celebrated during the monsoon season when the surroundings are lush green. The festival is a way to celebrate and appreciate the beauty of nature.
- Tree Planting and Swings: The tradition of putting up swings on trees signifies the importance
of trees and encourages environmental consciousness. The act of decorating and swinging on trees highlights the bond between humans and nature.
Traditions and Celebrations
- Swings (Jhulas): One of the most notable aspects of Hariyali Teej is the tradition of women
swinging on beautifully decorated swings hung from trees. - Mehndi (Henna): Women apply intricate henna designs on their hands and feet, which is considered
auspicious and adds to the festive spirit. - Fasting (Vrat): Married women observe a day-long fast, refraining from eating or drinking,
and pray for the well-being of their husbands. - Songs and Dances: Women gather to sing traditional Teej songs and perform dances, celebrating
the festival with great joy and enthusiasm. - Traditional Feasts: Although women who fast do not eat during the day, special traditional foods
and sweets are prepared, which are enjoyed by the family and community in the evening.
Hariyali Teej is a vibrant and joyous festival that celebrates marital bliss, cultural heritage, and
the beauty of nature, bringing together women in a unique blend of tradition, devotion, and community spirit.